Swati Sharma

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लेखनी कहानी -18-May-2022 :- आवाज़

आवाज़:-


वो आज बहुत रोई, इतना रोई कि सभी की निगाहें उसपर से हट ही नहीं पा रहीं थीं। उसको कुछ ना तो दिखाई दिया आज, और ना ही कुछ सुनाई दिया। जो भी उसका दर्द था, आज उसकी आंखों से सब बयां हो रहा था।
                  कई दिनों से उसका मन उदास था, ना जाने क्या उसको अंदर ही अंदर खाए जा रहा था, वो समझने में अक्षम थी। क्या था वो जिसने उसे इतने दिनों से परेशान किया हुआ था? क्या कोई व्यक्ति जिसने उसे धोखा दिया था ? या फ़िर कोई चीज जिसे वो पाना चाहती थी पर पा ना सकी। या कोई चोट कोई दर्द जिसे वो कभी बांट ना पाई हो। ना जाने क्या था वह !..... जो उसे समझ नहीं आ रहा था।
                                 लोग उसे अजीब सी निगाहों से देखे जा रहे थे, क्योंकि किसी ने भी उसे इस तरह रोते नहीं देखा था। कुछ समय पश्चात् वो चीखी कुछ बोलना चाहती थी सब से, जो शायद कभी बोल ना पाई थी वो। सब सुनकर सन्न रह गए, जिस लड़की के मुंह से किसी ने कभी कुछ भी कड़वा नहीं सुना, आज उसे क्या हो गया था?!?
                                              वो थक गई थी उस कैद से जिसमें ना जाने कब जाने अंजाने वो कदम रख चुकी थी। सोचती थी आज यदि वो असफल है तो क्या उसकी गलती है? आज उसे उसकी हर एक गलती याद आ रही थी।

जानना चाहते हैं वो कौन थी? वो थी वह आवाज़ जिसे हम कहीं दबा देते हैं। जाने अंजाने में। हममें से कई लोग ऐसे हैं, जो अपनों को या अपने आस पास के लोगों को दुःख ना हो, ये सोच कर चुप रह जाते हैं। इस बात की परवाह किए बिना की ऐसा करके खुद को कितना दुःख पहुंचा रहे हैं। 

दूसरों को खुशी देना अच्छा है । परन्तु, खुद को कष्ट देना भी ठीक नहीं है। अपने आसुओं को रोकिए मत इन्हें बहने दीजिए, इनको सुनिए। महसूस कीजिए अपने भीतर के दर्द को और निकाल दीजिए उस ज़ख्म को जिसने आपको दर्द दे रखा है।

                    कुछ समय पश्चात् जब मैने उससे पूछा कि अब कैसा महसूस हो रहा है? उसने कहा बेहद सुकून भरा, बेहद खुशनुमा, बेहद हल्का!!! 

                               आज, उसे भली-भांति पता चल गया था। जिसने उसे धोखा दिया वो कोई और नहीं वो खुद थी, क्योंकि सबकुछ देखते हुए भी उसने अपनी आंखें बंद किए हुए थीं।
               जो वो पाना चाहती थी वो था स्वयं का साथ जिसे उसने छोड़ दिया था, लोगों का साथ पाने के लिए।
                               जिसने उसे चोट पहुंचाई थी वो थी वह स्वयं जिसने अपनी चीखती आवाज़ को अनसुना कर दिया था। परन्तु, आज........ आज मैने उसको उसी से मिलवा दिया! उसे उसका आईना दिखा दिया। वो बेहद खुश है अब, क्योंकि अब वो रोने से नहीं डरती। अब वो खोने से नहीं डरती। अब वो रुकने से नहीं डरती, अब वो झुकने से नहीं डरती, अब वो चलने से नहीं डरती, चोट से उसे अब डर नहीं लगता, ना ही किसी की सोच से ओर ना ही किसी दर्द से। वो अब स्वतंत्र है। सम्पूर्ण ........... स्वतंत्र।

अपने मित्रों को पहचानिए उनकी सहायता कीजिए, उन्हें स्वयं से परिचित करवाईए।

वो बेहद खुश और हल्का महसूस कर रही है!..... अतः उसे देखकर मैं!!

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#नॉन स्टॉप 2022

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16 Comments

Neelam josi

21-May-2022 03:59 PM

Very nice 👌

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Swati Sharma

24-May-2022 10:12 AM

Thank you 😊

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Reyaan

20-May-2022 02:45 PM

👏👌

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Swati Sharma

24-May-2022 10:12 AM

🙏🏻😊

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Seema Priyadarshini sahay

19-May-2022 04:54 PM

बहुत खूबसूरत

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Swati Sharma

19-May-2022 11:40 PM

आपका हार्दिक आभार

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